जब विद्युती धनी ( धातु ) परमाणु से विद्युत ऋणी ( अधातु ) परमाणु पर इलेक्ट्रॉनों का पूर्ण स्थानान्तरण होता है तो क्रमश : धनायन तथा ऋणायन बनते हैं । ये धनायन तथा ऋणायन प्रबल स्थिर वैद्युत आकर्षण बल द्वारा बंधित हो जाते हैं । इसे ही आयनिक या वैद्युत संयोजी बन्ध कहते हैं ।
अतः आयनिक बन्ध को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है स्थिर वैद्युत आकर्षण बल या कूलाम्बिक बल जो विपरीत आवेशित आयनों को बाँधे रखता है उसे आयनिक बन्ध कहते हैं ।
इस प्रकार बने यौगिकों को आयनिक यौगिक कहते हैं एवं आयनों पर स्थित आवेश उनकी वैद्युत संयोजकता कहलाती है ।
आयन बनने पर दोनों परमाणु अपने निकटतम उत्कृष्ट गैस के समान विन्यास प्राप्त कर स्थायी हो जाते हैं ।
आयनिक बंध के उदाहरण
- NaCl
- KCL
- CaCl2
- MgCl2
- Na3S
- CaO
आयनिक बन्ध का निर्माण कैसे होता है?
आयनिक बन्ध के निर्माण के लिए शर्ते आवश्यक
- धातु की निम्न आयनन एन्थैल्पी – आयनन एन्थैल्पी का मान कम होने पर धनायन आसानी से बन जाते हैं , इसी कारण क्षार धातु तथा क्षारीय मृदा धातु आसानी से धनायन बनाती हैं ।
- अधातु की उच्च ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी – अधातु की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी उच्च ( ऋणात्मक ) होने पर उसकी इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति अधिक होती है अत : वह आसानी से ऋणायन बनाता है । इसी कारण हैलोजन की ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति अधिक होती है ।
- उच्च जालक एन्थैल्पी – गैसीय धनायनों तथा ऋणायनों के आकर्षण से एक मोल आयनिक क्रिस्टल के बनने पर मुक्त ऊर्जा को जालक ऊर्जा कहते हैं । जालक ऊर्जा का मान जितना अधिक होगा आयनिक यौगिक का निर्माण उतना ही आसान होगा तथा क्रिस्टल संरचना अधिक स्थायी होगी ।
आयनिक बंध किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए
जब विद्युती धनी ( धातु ) परमाणु से विद्युत ऋणी ( अधातु ) परमाणु पर इलेक्ट्रॉनों का पूर्ण स्थानान्तरण होता है ये स्थिर वैद्युत आकर्षण बल द्वारा बंधित हो जाते हैं ,इसे ही आयनिक बन्ध कहते हैं । उदाहरण- NaCl ,CaCl2 …etc
आयनिक यौगिक किसे कहते हैं ?
स्थिर वैद्युत आकर्षण बल या कूलाम्बिक बल जो विपरीत आवेशित आयनों को बाँधे रखता है उसे आयनिक बन्ध कहते हैं इस प्रकार बने यौगिकों को आयनिक यौगिक कहते हैं
एक आयनिक यौगिक का सूत्र लिखने की विधि
एक आयनिक यौगिक जो कि दो आयनों से बना हुआ है जिनकी विद्युत संयोजकता क्रमशः X , Y है का सूत्र लिखने के लिए निम्न तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए :
- आयनों प्रतीकों को इस प्रकार लिखिये कि धनात्मक आयन बायीं तरफ तथा ऋणात्मक आयन दायीं तरफ हो जैसे AB
- प्रत्येक प्रतीक के शीर्ष पर विद्युत संयोजकताओं को अंक में लिखिये AxBy
- उनकी संयोजकताओं को H.C.F से विभाजित करिए ।
- अब क्रिस क्रॉस नियम के अनुसार अतः सूत्र AyBx
आयनिक यौगिकों के सामान्य अभिलक्षण ( General Characteristics of lonic Compounds )
आयनिक यौगिकों के सामान्य अभिलक्षण
भौतिक अवस्था
आयनिक यौगिक सामान्यतः कठोर क्रिस्टलीय ठोस होते हैं क्योंकि धनायनों तथा ऋणायनों के मध्य प्रबल स्थिर वैद्युत आकर्षण पाया जाता है जिसके कारण क्रिस्टल जालक में आयन पास – पास स्थित होते हैं ।
समावयवता
आयनिक यौगिकों में त्रिविम समावयवता का गुण नहीं पाया जाता है क्योंकि आयनिक बन्ध अदिशात्मक होता है । आयनिक क्रिस्टल बनते समय आयन सभी दिशाओं में जुड़ते हैं ।
भंगुर प्रकृति
आयनिक यौगिक भंगुर प्रकृति के होते हैं अर्थात् बल लगाने पर ये छोटे – छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं । आयनिक क्रिस्टलों में आयनों की व्यवस्था निश्चित होती है जिसमें प्रत्येक आयन , विपरीत आवेशित आयनों की निश्चित संख्या से घिरा होता है । जब आयनिक यौगिक पर बाह्य बल लगाया जाता है तो आयनों की परतें खिसकती हैं जिसके कारण समान आवेश वाले आयन एक आमने – सामने आ जाते हैं जो कि एक – दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं जिससे क्रिस्टल में विकृति आकर यौगिक छोटे – छोटे टुकड़ों में विभक्त हो जाता है ।
गलनांक तथा क्वथनांक
आयनिक यौगिकों के गलनांक व क्वथनांक उच्च होते हैं क्योंकि आयनों के मध्य प्रबल स्थिर वैद्युत आकर्षण बल पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है । गलनाक का क्रम MgO > CaO > SrO > BaO
क्रियाशीलता
विलयन में आयनिक यौगिकों के मध्य अभिक्रिया तीव्र गति से होती है । ( तात्क्षणिक अभिक्रियाएँ ) क्योंकि विलयन में आयन स्वतंत्र अवस्था में रहते हैं जिसके कारण विपरीत आवेशित आयन तुरन्त क्रिया कर लेते हैं । इन अभिक्रियाओं को आयनिक अभिक्रियाएँ कहते हैं ।
उदाहरण NaCl (aq) + AgNO3 (aq) , → AgCl (श्वेत अवक्षेप)+ Na+NO3- (aq)
NaCl के जलीय विलयन में AgNO3 का जलीय विलयन मिलाने पर तुरन्त AgCl का श्वेत अवक्षेप प्राप्त होता है ।
चालकता
ठोस अवस्था में आयनिक यौगिक विद्युत के अति अल्प चालक ( लगभग कुचालक ) होते हैं क्योंकि ठोस अवस्था में आयन स्वतंत्र नहीं होते हैं लेकिन गलित अवस्था या विलयन में आयन स्वतंत्र हो जाते हैं अतः विलयन में आयनिक यौगिक विद्युत के सुचालक होते हैं ।
विलेयता
आयनिक यौगिक ध्रुवीय विलायकों में विलेय होते हैं । जल सर्वोत्तम ध्रुवीय विलायक होता है क्योंकि इसके परावैद्युतांक ( Dielectric constant ) का मान अधिक होता है । उदाहरण- . क्षार धातुओं के हैलाइडों की जल में विलेयता वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ती है । LiCl < NaCl < KCI < RbCI < CsCI
आयनिक बन्ध आयनिक यौगिकों के गुण महत्वपूर्ण बिंदु
- आयनिक यौगिक मुख्यतः क्रिस्टलीय प्रकृति के होते हैं । इनकी एक निश्चित ज्यामितीय या जालक व्यवस्था होती है जिसमें आयन निश्चित क्रम में व्यवस्थित रहते हैं ।
- आयनिक यौगिकों के गलनांक व क्वथनांक अधिक होते हैं । सोडियम के हैलाइड और द्वितीय समूह के ऑक्साइडों में गलनांक और क्वथनांक का क्रम निम्न है NaF > NaCl > NaBr > Nal , MgO > CaO > Bao
- आयनिक यौगिक प्रकृति में कठोर एवं भंगुर होते हैं ।
- आयनिक ठोस विद्युत प्रवाहित नहीं करते हैं , जबकि पिघली हुई अवस्था अथवा विलयन में आयनिक यौगिक विद्युत प्रवाहित करते हैं ।
- आयनिक यौगिक ध्रुवीय विलायकों में आसानी से घुल जाते हैं किन्तु अध्रुवीय विलायकों में ये अघुलनशील होते हैं ।
- आयनिक बन्ध अदिशात्मक होते हैं , अतः यह त्रिविम समावयवता प्रदर्शित नहीं करते हैं जैसे प्रकाशीय समावयवता व ज्यामितीय समावयवता
- आयनिक पदार्थ जलीय विलयन में आयन देते हैं इनकी रासायनिक क्रियाएँ आयनिक क्रियाएँ होती हैं जो कि तीव्रगामी होती हैं । K+Cl– + Ag+NO3– → Ag+Cl– ↓ + K+NO3– , ( अवक्षेप )
- आयनिक यौगिक समरूपता प्रदर्शित करते हैं ।
- आयनिक यौगिक का प्रशीतन वक्र सतत् नहीं होता , इसमें दो विराम बिन्दु होते हैं जो कि प्रशीतन के समय को प्रकट करते हैं
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