डाइहाइड्रोजन क्या है ? बनाने की विधियाँ

डाइहाइड्रोजन क्या है ? बनाने की विधियाँ से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। निम्न सभी टॉपिक की महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी है

  • डाइहाइड्रोजन प्राप्ति
  • हाइड्रोजन के समस्थानिक
  • डाइहाइड्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधियाँ
  • डाइहाइड्रोजन का व्यापारिक उत्पादन
  • डाइहाइड्रोजन के गुण

डाइहाइड्रोजन क्या है ?
एक रासायनिक यौगिक है जिसमे हाइड्रोजन के दो परमाणु होते हैं।
डाइहाइड्रोजन (H2)

डाइहाइड्रोजन प्राप्ति ( Occurrence )

डाइहाइड्रोजन ब्रह्माण्ड में अधिकतम पाया जाने वाला तत्त्व ( ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण द्रव्यमान का 70 प्रतिशत ) है तथा यह सौरमण्डल का प्रमुख तत्त्व है ।

विभिन्न ग्रहों , जैसे — बृहस्पति तथा शनि में अधिकांश हाइड्रोजन ही होती है , लेकिन यह हल्की होने के कारण पृथ्वी के वायुमण्डल में कम मात्रा ( द्रव्यमान का लगभग 0.15 प्रतिशत ) में पायी जाती है ।

संयुक्त अवस्था में या भू – पर्पटी तथा महासागरों के 15.4 प्रतिशत भाग का निर्माण करती है । संयुक्त अवस्था में जल के अतिरिक्त यह पौधों , जन्तु – ऊतकों , कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , हाइड्राइड , हाइड्रोकार्बन तथा अन्य कई यौगिकों में पायी जाती है ।

पृथ्वी पर उत्पन्न ज्वालामुखी तथा पेट्रोलियम गैसों में भी हाइड्रोजन गैस पायी जाती है , लेकिन हाइड्रोजन मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती है ।

हाइड्रोजन के समस्थानिक ( Isotopes of Hydrogen )

हाइड्रोजन Hydrogen ) एक ही तत्त्व के भिन्न – भिन्न परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न – भिन्न होती है उन्हें समस्थानिक कहते हैं । इनमें न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न – भिन्न होती है ।

हाइड्रोजन के अभी तक तीन समस्थानिक ज्ञात हैं—
( i ) सामान्य हाइड्रोजन ( प्रोटियम ) 1H1 परमाणु भार 1.0078
( ii ) ड्यूटिरियम ( भारी हाइड्रोजन ) 1H2 अथवा D ( परमाणु भार 2.014 )
( iii ) ट्राइटियम ( अति भारी हाइड्रोजन ) 1H3 अथवा T ( परमाणु भार 3.016 ) इनके द्रव्यमान का अनुपात 1.0078 : 2.014 : 3.016 होता है

हाइड्रोजन , ड्यूटिरियम तथा ट्राइटियम में न्यूट्रॉनों की संख्या क्रमश : 0 , 1 व 2 होती है ।

डाइहाइड्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधियाँ
( Laboratory Preparation Methods of Dihydrogen )

प्रयोगशाला में डाइहाइड्रोजन या हाइड्रोजन निम्नलिखित विधियों द्वारा बनायी जाती है—

( i ) सामान्यतः हाइड्रोजन को दानेदार जिंक की तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल या तनु H2SO4 से अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है ।
Zn (s) + 2H+ (aq) → Zn2+ (aq) + H2 (g)
Zn (s) + 2HCl (aq) → ZnCl2 (aq) + H2 (g)
इस विधि में Zn के स्थान पर Mg या Fe भी लिया जा सकता है ।

( ii ) हाइड्रोजन को जिंक धातु की जलीय क्षार के साथ अभिक्रिया से भी बनाया जाता है ।
Zn (s) + 2NaOH (aq) → Na2ZnO2 (aq) + H2 (g)
सोडियम जिंकेट इस विधि में Zn के स्थान पर Al लेकर भी H , गैस प्राप्त की जा सकती है ।
2Al + 2NaOH + 2H2O → 2NaAlO2 + 3H2

( iii ) धातुओं की जल से क्रिया द्वारा – सक्रिय धातु जैसे सोडियम , कैल्सियम इत्यादि ठण्डे जल से क्रिया करके संगत हाइड्रॉक्साइड तथा H2 गैस बनाते हैं ।
2Na + 2H2O → 2NaOH + H2
Ca + 2H2O → Ca(OH)2 + H2
मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम जैसी धातुएँ गर्म जल से क्रिया करके H2 गैस देती हैं ।
Mg + 2H2O → Mg(OH)2 + H2

( iv ) धातु हाइड्राइडों की जल से क्रिया द्वारा – क्षार तथा क्षारीय मृदा धातुओं के हाइड्राइड जल से क्रिया करके H2 गैस बनाते हैं ।
NaH + H2O → NaOH + H2
CaH2 + 2H2O → Ca(OH)2 + H2

डाइहाइड्रोजन का व्यापारिक उत्पादन
( Commercial Production of Dihydrogen )

हाइड्रोजन के व्यापारिक उत्पादन के लिए निम्नलिखित विधियाँ प्रयुक्त होती हैं –
( i ) जल के विद्युत अपघटन द्वारा – प्लैटिनम इलेक्ट्रॉड को प्रयुक्त करके अम्लीय या क्षारीय जल के विद्युत अपघटन से हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है ।
2H2O → विद्युत अपघटन अम्ल / क्षार → 2H2 (g) + O2 (g)

अम्लीय माध्यम के लिए जल में कुछ बूँदें H2SO4 की डाली जाती हैं । विद्युत प्रवाहित करने पर कैथोड तथा एनोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं—
2H2O ⇌ 2H+ + 2OH
कैथोड ( ऋणाग्र) पर 2H+ + 2e- → H2
एनोड ( धनाग्र ) पर 2OH → H2O + ½02 + 2e-

निकल इलेक्ट्रोडों के बीच रखे हुए बेरियम हाइड्रॉक्साइड [ Ba(OH)2 ] के जलीय विलयन का गरम अवस्था में विद्युत अपघट करने पर अति शुद्ध ( > 99.95 % ) हाइड्रोजन प्राप्त होती है । औद्योगिक स्तर पर H2 गैस बनाने की यह एक मुख्य विधि है ।

( ii ) लेन प्रक्रम द्वारा – रक्त तप्त आयरन पर अतितप्त . जलवाष्प गुजारने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है । 3Fe + 4H2O ⇌1173K⇌ 3Fe3O4 + 4H2
जलवाष्प अभिक्रिया से प्राप्त आयरन ऑक्साइड ( Fe3O4 ) पर भाप अंगार गैस ( CO + H2 ) प्रवाहित करने से यह पुनः आयरन में परिवर्तित हो जाता है ।
Fe3O4 + 2 (CO + H2) → 3Fe + 2CO2 + 2H2O

डाइहाइड्रोजन के गुण

भौतिक गुण ( Physical Properties )

  1. हाइड्रोजन ज्ञात तत्त्वों में सबसे हल्की गैस है तथा यह वायु से हल्की होती है । इसका घनत्व वायु की अपेक्षा 0.0695 : 1 होता है ।
  2. यह रंगहीन , गंधहीन तथा स्वादहीन गैस है ।
  3. यह जल में लगभग अविलेय है ।
  4. हाइड्रोजन गैस ज्वलनशील होती है लेकिन जलने में सहायक नहीं है ।
  5. हाइड्रोजन का क्वथनांक 20.39K तथा गलनांक 13.96K होता है ।
  6. Pt तथा Pd धातुओं द्वारा H , गैस का अधिशोषण हो जाता है , इसे हाइड्रोजन का अधिधारण कहा जाता है ।

रासायनिक गुण ( Chemical Properties )

H – H बन्ध वियोजन एन्थैल्पी का मान किसी तत्त्व के दो परमाणुओं के बीच एकल बन्ध के लिए अधिकतम होता है अतः H2 स्थायी होती है । इसी कारण कक्ष ताप पर यह निष्क्रिय होती है । हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (1s1) में अपूर्ण कक्षक होता है अतः यह लगभग सभी तत्त्वों के साथ संयोग करती है । अभिक्रियाओं के दौरान हाइड्रोजन
( i ) एक इलेक्ट्रॉन देकर H+ बनाती है ।
( ii ) एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके H बनाती है तथा
( iii ) इलेक्ट्रॉन युग्म के साझे से एकल सहसंयोजी बन्ध बनाती हाइड्रोजन के रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं

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