तत्वों के आवर्ती गुण | तत्वों के गुणधर्मों में आवर्तिता

परमाणु त्रिज्या आयनन एन्थैल्पी इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी विद्युत ऋणात्मकता में आवर्तिता 

यहाँ तत्वों के आवर्ती गुण | तत्वों के गुणधर्मों में आवर्तिता से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। 

तत्त्वों के गुण मुख्यत : इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा आकार पर निर्भर करते हैं । आवर्त सारणी के किसी वर्ग के सभी तत्त्वों का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है , अतः उनके गुणों में भी समानता होती है । 

लेकिन आवर्त में तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में एक नियमित परिवर्तन होता है । आवर्त सारणी में ऊपर से नीचे या बाएँ से दाएँ जाने पर तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणों में एक क्रम दिखाई देता है । 

जैसे किसी आवर्त में रासायनिक क्रियाशीलता प्रथम वर्ग के धातुओं में बहुत अधिक होती है , मध्य तक पहुँचकर यह कम हो जाती है तथा वर्ग 17 के अधातुओं तक पहुँचने पर यह बढ़कर बहुत अधिक हो जाती है । 

इसी प्रकार प्रसामान्य तत्त्वों के समूह जैसे – क्षारीय धातुओं में ऊपर से नीचे जाने पर क्रियाशीलता बढ़ती है , जबकि अधातुओं के समूह जैसे – हैलोजन परिवार में ऊपर से नीचे जाने पर क्रियाशीलता में कमी होती है । 

किसी आवर्त या वर्ग में तत्त्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन को ही आवर्तिता कहते हैं । तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों में यह परिवर्तन क्यों होता है इसे हम इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा ऊर्जा स्तरों के आधार पर समझेंगे। 

तत्वों के आवर्ती गुण | तत्वों के गुणधर्मों में आवर्तिता 

भौतिक गुणधर्मों की प्रवृत्ति (Trends in Physical Properties)

तत्त्वों के भौतिक गुण जैसे – गलनांक , क्वथनांक , गलन एवं वाष्पीकरण ऊष्मा , परमाणुकरण की ऊर्जा आदि सभी आवर्ती परिवर्तन दर्शाते हैं । 

इस भाग में हम परमाणु एवं आयनिक त्रिज्याएँ , आयनन एंथैल्पी , इलेक्ट्रॉन लब्धि एंथैल्पी तथा विद्युत ऋणात्मकता में आवर्ती परिवर्तन के बारे में जानेंगे ।

तत्वों के गुणधर्मों में आवर्तिता

परमाणु त्रिज्या में आवर्तिता 

एक परमाणु के बाह्यतम इलेक्ट्रॉन तथा नाभिक के बीच की दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं । 

  1. वर्ग में परमाणु त्रिज्या का मान बढ़ता है तथा आवर्त में परमाणु त्रिज्या का मान कम होता है । 
  2. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में क्षार धातुओं का परमाणु आकार अधिकतम तथा हैलोजनों का परमाणु आकार न्यूनतम होता है । 
  3. धात्विक परमाणुओं में परमाणु त्रिज्या को धात्विक त्रिज्या कहा जाता है । 
  4. उत्कृष्ट गैसें बन्ध नहीं बनाती अत : इनकी परमाणु त्रिज्या के स्थान पर वान्डर वाल त्रिज्या ज्ञात की जाती है । वान्डर वाल त्रिज्या , परमाणु त्रिज्या से हमेशा अधिक होती है । 
  5. धनायन की त्रिज्या हमेशा संगत परमाणु की त्रिज्या से कम होती है जबकि ऋणायन की त्रिज्या संगत परमाणु की त्रिज्या से अधिक होती है । 
  6. समइलेक्ट्रॉनीय स्पीशीज में अधिक धनावेशित स्पीशीज की त्रिज्या न्यूनतम तथा अधिक ऋणावेशित स्पीशीज की त्रिज्या अधिकतम होती है । 

आयनन एन्थैल्पी , इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तथा विद्युत – ऋणात्मकता में आवर्तिता की प्रवृत्ति पाई जाती है । 

आयनन एन्थैल्पी में आवर्तिता 

किसी तत्त्व की तलस्थ अवस्था में एक मोल विलगित गैसीय परमाणु में से बाह्यतम इलेक्ट्रॉन को पृथक् करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन एन्थैल्पी कहते हैं । 

किसी तत्त्व की विभिन्न आयनन एन्थैल्पी ( I.E. ) 

मानों में क्रम निम्न प्रकार होता है 

III I.E. > II I.E. > I I.E. 

आवर्त सारणी में He की आयनन एन्थैल्पी अधिकतम तथा Cs की आयनन एन्थैल्पी न्यूनतम होती है । 

आयनन एन्थैल्पी को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं 

  1. परमाणु आकार ∝ 1/आयनन एन्थैल्पी 
  2. प्रभावी नाभिकीय आवेश ∝ 1/आयनन एन्थैल्पी 
  3. परिरक्षण प्रभाव ∝ 1/आयनन एन्थैल्पी 
  4. कक्षकों की भेदन क्षमता ∝ आयनन एन्थैल्पी 
  5. अर्धपूरित तथा पूर्णपूरित कक्षकों का स्थायित्व ∝आयनन एन्थैल्पी 

 

👉जिन धातुओं की आयनन एन्थैल्पी कम होती है उनकी क्रियाशीलता तथा धात्विक गुण अधिक होता है तथा वे अच्छे अपचायक भी होते हैं । 

👉क्षार धातु +1 तथा क्षारीय मृदा धातु +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं । 

👉हाइड्रॉक्साइडों तथा ऑक्साइडों का क्षारीय गुण वर्ग में बढ़ता है जबकि आवर्त कम होता है । 

इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी में आवर्तिता 

किसी तत्त्व की तलस्थ अवस्था में एक मोल विलगित गैसीय परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन में परिवर्तित होने पर उत्सर्जित ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी कहते हैं । 

इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी को ऋणात्मक माना जाता है क्योंकि इलेक्ट्रॉन जुड़ने पर ऊर्जा का उत्सर्जन होता है लेकिन द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी धनात्मक होती है ।

इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी ( EGE ) को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं 1 

  1. परमाण्वीय आकार ∝  1/EGE 
  2. प्रभावी नाभिकीय आवेश ∝ E.G.E. 
  3. परिरक्षण प्रभाव ∝ 1/ EGE 
  4. अर्धपूरित तथा पूर्णपूरित कक्षकों का स्थायित्व ∝ 1/EGE 

👉द्वितीय आवर्त के तत्त्वों की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तृतीय आवर्त के तत्त्वों की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी से कम ऋणात्मक होती है । 

👉आवर्त सारणी में क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिकतम ऋणात्मक होती है । 

👉उत्कृष्ट गैसों की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी मान अत्यधिक धनात्मक होता है क्योंकि इनमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति नहीं होती है । 

👉नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी क्रमशः कार्बन तथा सिलिकन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी से कम ऋणात्मक होती

 👉इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी सामान्यतः आवर्त में अधिक ऋणात्मक तथा वर्ग में कम ऋणात्मक होती जाती है । 

विद्युत ऋणात्मकता में आवर्तिता 

किसी परमाणु की सहसंयोजी बंध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की प्रवृत्ति को विद्युत ऋणात्मकता कहते हैं । 

आयनन एन्थैल्पी तथा विद्युत ऋणात्मकता प्रायः आवर्त में बढ़ती है तथा वर्ग में कम होती है ।

विद्युत ऋणता ( E.N. ) को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं  

  1. परमाण्वीय आकार ∝ 1/E.N. 
  2. प्रभावी नाभिकीय आवेश ∝ E.N. 
  3. परिरक्षण प्रभाव ∝ 1/E.N.
  4. ऑक्सीकरण अंक ∝ E.N. 
  5. संकरण में s गुण ∝ E.N. 

👉विद्युत ऋणता किसी तत्त्व के अधातु गुण का माप होती है । 

👉आवर्त सारणी में फ्लुओरीन ( F ) की विद्युत ऋणता अधिकतम होती है । 

👉 उत्कृष्ट गैसों की विद्युत ऋणता शून्य होती है । 

👉 विद्युत ऋणता के मापन हेतु भिन्न – भिन्न वैज्ञानिकों ने भिन्न – भिन्न मापक्रम दिए हैं , जैसे – मुलिकन मापक्रम , आलरेड – रोशो मापक्रम तथा पॉलिंग मापक्रम । 

👉विद्युत ऋणता की सहायता से सहसंयोजी बन्ध की ध्रुवता , बन्ध सामर्थ्य तथा बन्ध लम्बाई इत्यादि ज्ञात की जाती है। 

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