हाइड्रोजन परॉक्साइड से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। निम्न सभी टॉपिक की महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी है
- H2O2 की संरचना ( Structure of H2O2 )
- हाइड्रोजन परॉक्साइड बनाने की विधियाँ
- हाइड्रोजन परॉक्साइ के भौतिक गुण
- H2O2 के रासायनिक गुण
- हाइड्रोजन परॉक्साइड ( H2O2) के उपयोग
सर्वप्रथम फ्रांस के रसायनज्ञ थेनार्ड ( Thenard ) ने सन् 1818 ई . में बेरियम परॉक्साइड ( BaO2 ) पर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ( HCl ) की क्रिया से हाइड्रोजन परॉक्साइड प्राप्त किया था ।
यह एक महत्त्वपूर्ण पदार्थ है जिसका उपयोग घरेलू तथा औद्योगिक बहिस्राव का उपचार करके पर्यावरण नियन्त्रण में किया जाता है । उपस्थिति ( Presence ) – हाइड्रोजन परॉक्साइड बहुत ही सक्रिय एवं अस्थायी यौगिक है , इसलिए प्रकृति में यह मुक्त अवस्था में बहुत सूक्ष्म मात्रा में पाया जाता है ।
यह अल्प मात्रा में वर्षा के पानी ,ओस तथा हिम में पाया जाता है । वायुमण्डल में नम ऑक्सीजन पर पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से भी यह बनता है ।
H2O2 की संरचना ( Structure of H2O2 )
H2O2 की संरचना खुली किताब की तरह तथा असमतलीय होती है जिसमें द्वितल या द्विफलकीय कोण 111.5 ° होता है । लेकिन इसकी ठोस अवस्था में बन्ध कोण 90.2 ° होता है ।
H2O2 में ऑक्सीजन पर sp3 संकरण होता है तथा इसमें दो – OH बन्ध भिन्न तल में उपस्थित होते हैं ।
हाइड्रोजन परॉक्साइड बनाने की विधियाँ
Preparation of Methods
हाइड्रोजन परॉक्साइड को निम्नलिखित विधियों द्वारा बनाया जाता
( i ) बेरियम परॉक्साइड पर तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया द्वारा– बर्फ से ठण्डे किये गये क्रिस्टलीय या हाइड्रेटेड बेरियम परॉक्साइड ( BaO2.8H2O ) के तनु विलयन में ठण्डा तनु H2SO4 विलयन मिलाने पर हाइड्रोजन परॉक्साइड तथा बेरियम सल्फेट का अवक्षेप प्राप्त होता है ।
इसमें उपस्थित जल के आधिक्य को कम दाब पर वाष्पित करके पृथक् किया जाता है ।
BaO2.8H2O (s) + H2SO4 (aq ) → H2O2 (aq) + BaSO4 (s) + 8H2O
अवक्षेपित बेरियम सल्फेट को ( BaSO4 ) छानकर , पृथक् कर लेते हैं और छनित ( विलयन ) के रूप में तनु H2O2 प्राप्त हो जाता है ।
( ii ) मर्क विधि द्वारा – बेरियम परॉक्साइड को बर्फ के जल से ठण्डा करके विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करते हैं , तो हाइड्रोजन परॉक्साइड बनती है और साथ ही बेरियम कार्बोनेट का अवक्षेप बनता है ।
BaO2 + H2O + CO2 → BaCO3 (अवक्षेप) + H2O2
अविलेय बेरियम कार्बोनेट को छानकर पृथक् कर लिया जाता है । तथा छनित ( Filtrate ) के रूप में H2O2 का विलयन प्राप्त कर लिया जाता है ।
( iii ) औद्योगिक उत्पादन — हाइड्रोजन परॉक्साइड का औद्योगिक उत्पादन 2 – ऐल्किलऐन्थ्राक्विनॉल के स्वतः ऑक्सीकरण द्वारा किया जाता है ।
2 एथिलऐन्थ्राक्विनॉल ⇌O2 (वायु ) | H2/Pd ⇌ H2O2 + 2 एथिलऐन्थ्रेक्विनॉन
हाइड्रोजन परॉक्साइ के भौतिक गुण ( Physical Properties )
- शुद्ध अवस्था में हाइड्रोजन परॉक्साइड लगभग रंगहीन ( अतिहल्का नीला ) द्रव होता है ।
- H2O2 का गलनांक 272.4K तथा क्वथनांक 423K होता है ।
- 298K पर इसका घनत्व 1.44 gm-3 होता है जो कि जल के घनत्व से अधिक है तथा 290K पर इसकी श्यानता 1.25 सेन्टी पॉयज होती है ।
- H2O2 जल के साथ प्रत्येक अनुपात में मिश्रणीय होता है । तथा यह H2O2.H2O ( हाइड्रेट ) बना लेता है जिसका क्वथनांक 221K होता है ।
- H2O2 के परावैद्युतांक का मान 298K पर 70.7 C2/N.m2 होता है ।
H2O2 के रासायनिक गुण ( Chemical Properties )
H2O2 के रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं
- अपघटन ( Decomposition ) – शुद्ध हाइड्रोजन परॉक्साइड अस्थायी होता है अतः यह धीरे – धीरे अपघटित होकर जल तथा ऑक्सीजन देता है । यह प्रक्रम ऊष्माक्षेपी होता है ।
2H2O2 – → 2H2O + O2
2. ऑक्सीकारक गुण ( Oxidizing Property ) —
अम्लीय माध्यम में – हाइड्रोजन परॉक्साइड फैरस , आयन ( Fe2+) को फैरिक ऑयन ( Fe3+ ) में लैड सल्फाइड (PbS) को लैड सल्फेट ( PbSO4 ) में ,I– को I2 में तथा फेरोसायनाइड आयन को फेरीसायनाइड आयन में ऑक्सीकृत कर देता है ।
क्षारीय माध्यम में – H2O2 , Fe2+ को Fe3+ में तथा Mn2+ को Mn4+ में ऑक्सीकृत करता है ।
3. अपचायक गुण ( Reducing Property ) –
अम्लीय माध्यम में – H2O2 , MnO4 को Mn2+ तथा HOCl को Cl– एवं O2 में अपचयित कर देता है ।
क्षारीय माध्यम में – H2O2 , I2 को I– में तथा MnO4– को MnO2 में अपचयित कर देता है ।
हाइड्रोजन परॉक्साइड ( H2O2) के उपयोग
- दैनिक जीवन में H2O2 का उपयोग मंद कीटनाशी तथा बालों के विरंजन में किया जाता है ।
- पूतिरोधी ( Antiseptic ) के रूप में यह बाजार में ‘ परहाइड्रॉल ‘ ( Perhydrol ) नाम से प्रयुक्त होता है ।
- इसका उपयोग सोडियम परबोरेट तथा सोडियम परकार्बोनेट के निर्माण में किया जाता है , ये यौगिक उच्च कोटि के अपमार्जकों में प्रयोग किए जाते हैं ।
- उद्योगों में H2O2 का उपयोग वस्त्रों , कागज की लुगदी , चमड़ा , तेल , वसा आदि के लिए विरंजन कारक ( Bleaching Agent ) के रूप में किया जाता है ।
- H2O2 का उपयोग हाइड्रोक्यूनोन , टार्टरिक अम्ल , खाद्य उत्पादों तथा औषधियों ( सिफैलोस्पोरिन ) के संश्लेषण में भी किया जाता है ।
- इसे दूध , शराब इत्यादि के परिरक्षण में प्रयुक्त किया जाता है ।