जल की संरचना भौतिक एवं रासायनिक गुण कठोर एवं मृदु जल

जल की संरचना भौतिक एवं रासायनिक गुण कठोर एवं मृदु जल से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। निम्न सभी टॉपिक की महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी है

  1. जल की संरचना
  2. जल के भौतिक गुण
  3. जल के रासायनिक गुण
  4. कठोर एवं मृदु जल

पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों का एक बहुत बड़ा भाग जल द्वारा ही निर्मित होता है ।

मानव शरीर में लगभग 65 % तथा कुछ पौधों में लगभग 95 % जल होता है । सजीवों के जीवित रहने के लिए जल एक अतिआवश्यक यौगिक है तथा यह एक महत्त्वपूर्ण विलायक भी है ।

पृथ्वी की सतह पर जल का वितरण एकसमान नहीं होता है तथा इसकी अधिकतम मात्रा ( 97.33 % ) महासागरों में उपस्थित होती है । इसके पश्चात् 2.04 % जल ध्रुवीय बर्फ तथा ग्लेशियर के रूप में पाया जाता है । तथा जल की शेष मात्रा भूमिगत जल , झील , नदियों तथा वायुमण्डलीय जलवाष्प में पायी जाती है ।

जल की संरचना ( Structure of Water )

जल के अणु ( H2O ) में ऑक्सीजन पर sp3 संकरण होता है तथा इसमें ऑक्सीजन पर दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होने के कारण गैस अवस्था में इसकी आकृति V- जैसी , कोणीय या बंकित ( bent ) होती है ।

1.p – 1.p प्रतिकर्षण के कारण बन्ध कोण का मान 104.5° हो जाता है तथा इसमें O-H बन्ध लम्बाई 95.7pm होती है ।

जल के भौतिक गुण
Physical Properties of Water

  1. जल एक रंगहीन , गंधहीन तथा स्वादहीन द्रव है ।
  2. जल की विशिष्ट ऊष्मा , तापीय चालकता , पृष्ठ तनाव , द्विध्रुव आघूर्ण तथा परावैद्युतांक ( 78.39 ) के मान भी उच्च होते हैं जो कि अन्य द्रवों की तुलना में अधिक हैं । इन्हीं विशिष्ट गुणों के कारण जीवमण्डल में जल की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है ।
  3. जल का हिमांक ( 273K ) , क्वथनांक ( 373K ) , वाष्पन ऊष्मा तथा संलयन ऊष्मा उच्च होती है । इन सबका कारण जल के अणुओं के मध्य अन्तराअणुक हाइड्रोजन बंध है ।
  4. 298K ताप पर जल का घनत्व 1.00 g / cm3 होता है, लेकिन इसका अधिकतम घनत्व 277K ताप पर होता है । जल उदासीन होता है ।
  5. जल की विशिष्ट चालकता बहुत कम होती है क्योंकि इसका आयनन कम होता है ।
  6. जल की उच्च वाष्पन ऊष्मा तथा उच्च ऊष्माधारिता ही जीवों के शरीर तथा जलवायु के ताप को सामान्य बनाए रखने के लिए उत्तरदायी है ।
  7. वनस्पतियों तथा प्राणियों के उपापचय ( Metabolism ) में अणुओं के अभिगमन ( Transportation ) के लिए जल एक विलायक के रूप में कार्य करता है ।
  8. जल , ध्रुवीय सहसंयोजक यौगिकों के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता है अतः ये यौगिक जल में विलेय होते हैं जैसे— ऐल्कोहॉल , ग्लिसरॉल तथा कार्बोहाइड्रेट ( ग्लूकोस , शर्करा ) इत्यादि ।

जल के रासायनिक गुण
Chemical Properties of Water

जल के रासायनिक गुण-

( i ) उभयधर्मी प्रकृति ( Amphoteric Nature ) – जल का स्वतः आयनन ( स्वतः प्रोटोनीअपघटन ) निम्न प्रकार होता है—

H2O (l) अम्ल- 1 + H2O (l) क्षार -2 ⇌ H3O+ (aq) अम्ल -2 + OH (aq) क्षार -1

अतः ब्रेन्स्टेद लॉरी के अनुसार यह प्रोटॉन दे भी सकता है तथा प्रोटॉन ग्रहण भी कर सकता है इसलिए यह उभयधर्मी होता है । क्षारों के साथ यह म्ल की तरह तथा अम्लों के साथ यह क्षार की भाँति कार्य करता है ।

( ii ) जल अपघटन ( Hydrolysis ) – जल में बहुत से आयनिक यौगिक विलेय होते हैं क्योंकि इसका परावैद्युतांक का मान उच्च होता है अतः इसमें जलयोजन की प्रवृत्ति होती है । लेकिन बहुत से यौगिक जल से क्रिया करके विभिन्न उत्पाद बनाते हैं , इसे जल अपघटन कहते हैं ।
जल अपघटन में जल द्वारा यौगिक का विघटन होकर नए यौगिक बनते हैं ।
उदाहरण
P4O10 (s) + 6H2O (l) → 4H3PO4 (aq)
SiCl4 (l) + 2H2O (l) → SiO2 (s) + 4HCl (aq)

कठोर एवं मृदु जल ( Hard and Soft Water )

सामान्यतः वर्षा का जल लगभग शुद्ध होता है । यह जल जब पृथ्वी की सतह पर बहता है तो इसमें बहुत से लवण घुल जाते हैं इससे जल कठोर हो जाता है । जल की कठोरता जल में विलेय कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के कार्बोनेट , क्लोराइड तथा सल्फेट के कारण होती है ।
अतः जल दो प्रकार का होता है – मृदु जल तथा कठोर जल ।

मृदु जल ( Soft water ) – मृदु जल वह होता है जिसमें विलेयशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवण नहीं होते हैं तथा यह साबुन के साथ आसानी से झाग दे देता है ।

कठोर जल ( Hard water ) – वह जल जिसमें विलेयशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवण , कार्बोनेट क्लोराइड तथा सल्फेट के रूप में उपस्थित होते हैं , उसे कठोर जल कहते हैं । यह साबुन के साथ आसानी से झाग नहीं देता है।

जल की कठोरता दो प्रकार की होती है—
( a ) अस्थायी कठोरता
( b ) स्थायी कठोरता ।

अस्थायी कठोरता ( Temporary Hardness )

अस्थायी कठोरता जल में कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट ( हाइड्रोजन कार्बोनेट ) की उपस्थिति के कारण होती है । इसे अस्थायी कठोरता इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे जल को गरम करने , उबालने अथवा आसवन द्वारा दूर किया सकता है ।

सामान्यतया जल की अस्थायी कठोरता को– 1.उबालकर तथा 2.क्लार्क विधि द्वारा दूर करते हैं ।

स्थायी कठोरता ( Permanent Hardness )

जल की स्थायी कठोरता का कारण उसमें विलेय कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के क्लोराइड तथा सल्फेट के कारण होती है । यह कठोरता जल को उबालकर दूर नहीं की जा सकती है ।

स्थायी कठोरता की पहचान यह है कि इस जल में साबुन झाग ( Foams ) नहीं देता है न ही इसमें फसल अच्छी होती है और न ही यह पाचन क्रिया में लाभकारी है । निम्नलिखित विधियों द्वारा जल की स्थायी कठोरता को दूर किया जा सकता है

  1. धावन सोडा ( सोडियम कार्बोनेट ) द्वारा
  2. परम्युटिट विधि या आयन विनिमय विधि द्वारा
  3. केलगॉन विधि द्वारा
  4. आयन विनिमयक संश्लेषित रेजिन्स द्वारा

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