अपचयोपचय ( ऑक्सीकरण – अपचयन ) रेडोक्स अभिक्रियाओं को सन्तुलित करना ( Balancing of Redox Reactions ) ] से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। निम्न सभी टॉपिक की महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी है
अपचयोपचय (ऑक्सीकरण – अपचयन) अभिक्रियाओं को सन्तुलित करना
ऑक्सीकरण अंक विधि तथा
अर्ध – अभिक्रिया विधि या आयन इलेक्ट्रॉन विधि ।
अपचयोपचय ( ऑक्सीकरण – अपचयन ) अभिक्रियाओं को सन्तुलित करना ( Balancing of Redox Reactions )
अपचयोपचय अभिक्रियाओं को दो विधियों द्वारा सन्तुलित किया जा सकता है
- ऑक्सीकरण अंक विधि तथा
- अर्ध-अभिक्रिया विधि या आयन इलेक्ट्रॉन विधि ।
प्रथम विधि ऑक्सीकारक तथा अपचायक की ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन पर आधारित है जबकि दूसरी विधि में अभिक्रिया को दो अर्ध – अभिक्रियाओं ( ऑक्सीकरण तथा अपचयन अर्ध – अभिक्रिया ) में विभक्त किया जाता है । ( a )
ऑक्सीकरण अंक विधि ( Oxidation Number Method )
अन्य अभिक्रियाओं के समान ऑक्सीकरण – अपचयन अभिक्रियाओं के लिए भी क्रिया में भाग लेने वाले अभिकारकों तथाबनने वाले उत्पादों के सूत्र ज्ञात होने चाहिए । ऑक्सीकरण अंक विधि द्वारा समीकरण को सन्तुलित करने में निम्नलिखित पद प्रयुक्त होते हैं—
- सर्वप्रथम सभी अभिकारकों तथा उत्पादों के सही सूत्र लिखते
- अभिक्रिया में भाग लेने वाले सभी तत्वों के परमाणुओं को लिखकर उन परमाणुओं को ज्ञात करते हैं जिनकी ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन हो रहा है ।
- प्रत्येक परमाणु तथा सम्पूर्ण अणु / आयन की ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि या कमी की गणना करते हैं । यदि ये समान न हों , तो उपयुक्त गुणांक से गुणा करते हैं , ताकि ये समान हो जाएँ ।
- इसके पश्चात् यह निश्चित करते हैं कि यदि अभिक्रिया जलीय विलयन में हो रही है , तो H+ या OH– आयन उपयुक्त स्थान पर जोड़ें ताकि अभिकारकों तथा उत्पादों का कुल आवेश बराबर हो जाए ।
- जब अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में होती है तो H+ आयनों का प्रयोग करते हैं तथा क्षारीय माध्यम होने पर OH– आयनों का प्रयोग किया जाता है ।
- अभिकारकों या उत्पादों में जल के अणु जोड़कर , व्यंजक में दोनों ओर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या समान कर देते । अब ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या जाँच करते हैं । यदि अभिकारकों तथा उत्पादों में ( अभिक्रिया के दोनों ओर ) ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या एकसमान है , तो यह समीकरण संतुलित अपचयोपचय अभिक्रिया को दर्शाता है ।
उदाहरण
पद 1. इस समीकरण का ढाँचा निम्न प्रकार है
MnO4– (aq) + Br– (aq) → MnO2 (s) + BrO3– (aq)
पद 2. Mn व Br की ऑक्सीकरण संख्या लिखते हैं—
(+7)MnO4– (aq) + (-1)Br– (aq) → (+4)MnO2 (s) + (+5)BrO3– (aq)
इससे यह ज्ञात होता है कि परमैंगनेट आयन ऑक्सीकारक है । जबकि ब्रोमाइड आयन अपचायक है ।
पद 3. ऑक्सीकरण अंकों में वृद्धि तथा कमी की गणना करके | इन्हें एकसमान करते हैं ।
(+7)2MnO4– (aq) + (-1)Br– (aq) → (+4)2MnO2 (s) + (+5)BrO3– (aq)
पद 4. चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है तथा आयनिक आवेश समान नहीं है , इसलिए आयनिक आवेश समान करने के लिए दायीं ओर 2OH– जोड़ते हैं ।
2MnO4– (aq) + Br– (aq) → 2MnO2 (s) + BrO3– (aq) + 2OH– (aq)
पद 5. अंत में हाइड्रोजन परमाणुओं की गणना करके बायीं ओर उपयुक्त संख्या में जल के अणु ( H2O ) जोड़ते हैं जिससे | संतुलित अपचयोपचय अभिक्रिया प्राप्त हो जाती है ।
2MnO4– (aq) + Br– (aq) + H2O(l) → 2MnO2 (s) + BrO3– (aq) + 2OH– (aq)
अर्ध अभिक्रिया विधि या आयन इलेक्ट्रॉन विधि
( Half Reaction Method or Ion Electron Method )
यह विधि जेट तथा लामर ने दी थी । अपचयोपचय अभिक्रिया को सन्तुलित करने की इस विधि में दोनों अर्द्ध – अभिक्रियाओं को अलग – अलग संतुलित करते हैं तथा बाद में दोनों को जोड़कर संतुलित अभिक्रिया प्राप्त कर लेते हैं
पद 1. पहले हम ढाँचा समीकरण लिखते हैं
MnO4– (aq) + I–(aq) → MnO2 (s) + I2 (s)
पद 2. इस अभिक्रिया की दो अर्द्ध – अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार |
ऑक्सीकरण अर्द्ध – अभिक्रिया I–(aq) → I2 (s)
अपचयन अर्द्ध – अभिक्रिया MnO4–(aq) → MnO2 (s)
पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध – अभिक्रिया में I परमाणु का सन्तुलन करने पर
2I– (aq) → I2 (s)
पद 4. ऑक्सीजन परमाणु को सन्तुलित करने के लिए । अपचयन अभिक्रिया में दाईं ओर 2 जल के अणु जोड़ते हैं MnO4–(aq) → MnO2 (s) + 2H2O (l)
H परमाणु को सन्तुलित करने के लिए इसमें बाईं ओर चार H+ आयन जोड़ देते हैं ।
MnO4 (aq) + 4H+ (aq) – → MnO2 (s) + 2H2O
चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है इसलिए | समीकरण के दोनों ओर 4OH– जोड़ देते हैं ।
MnO4– (aq) + 4H+ (aq) + 4OH– (aq) → MnO2 (s) + 2H2O (I) + 4OH– (aq)
H+ आयन तथा OH– आयन को जोड़कर H2O लिखने पर प्राप्त समीकरण निम्न है—
MnO4– (aq) + 2H2O (I) → MnO2 (s) + 4OH– (aq)
पद 5. अब दोनों अर्द्ध – अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन दर्शाई गई विधि द्वारा करते हैं ।
2I– (aq) → I2 ( s ) + 2e–
2MnO4–(aq) + 2H2O (l) + 3e– → 2MnO2(s) + 4OH– (aq)
इलेक्ट्रॉनों की संख्या एकसमान करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध – अभिक्रिया को 3 से तथा अपचयन अर्द्ध – अभिक्रिया को 2 से गुणा करते हैं ।
6I– (aq) → 3I2 (s) + 2e–
MnO4 (aq) + 4H2O (l) + 6e– → 2MnO2 (s) + 8OH– (aq)
पद 6. दोनों अर्द्ध – अभिक्रियाओं को जोड़कर दोनों ओर के इलेक्ट्रॉनों को निरस्त करने पर यह समीकरण प्राप्त होता है ।
6I– (aq) + 2MnO4– (aq) + 4H2O (l) → 3I2 (s) + 2MnO2 (s) + 8OH– (aq)
पद 7. अन्त में सत्यापन करने से ज्ञात होता है कि अभिक्रिया के दोनों ओर परमाणुओं की संख्या तथा आवेश समान है , अर्थात् अभिक्रिया पूर्ण रूप से सन्तुलित है ।