मीटर सेतु ( Meter Bridge in Hindi )की -संरचना,कार्यप्रणाली सीमाएँ
मीटर सेतु ( Meter Bridge )
मीटर सेतु ( Meter Bridge ) मीटर ब्रिज एक प्रयोगात्मक उपकरण है जो एक समान अनुप्रस्थ काट तार से बना है जो व्हीटस्टोन ब्रिज के सिद्धांत के आधार पर अज्ञात प्रतिरोध के मान को निर्धारित करता है।
मीटर सेतु ( Meter Bridge ) संरचना –
मीटर सेतु में एक मीटर लम्बा मैंगनीन या कान्सटेन्टन से बना तार एक लकड़ी के आधार पर सम्बन्धक पेचों a तथा c के मध्य , खिंचा हुआ , व्यवस्थित रहता है ।
तार का अनुप्रस्थ काट एक समान है तार की लंबाई के साथ एक मीटर की लंबाई का पैमाना है।
सम्बन्ध पेचों a तथा c को ताँबें / पीतल से बनी L आकृति की पट्टियों M एवं N से जोड़ देते हैं ।
J एक कुंजी है जो तार ac पर खिसकाई जा सकती है । कुंजी का तार पर सम्पर्क बिन्दु b अभीष्ट तार को दो भुजाओं ab तथा bc में विभाजित करता है ।
एक ताँबे की पट्टी I , पट्टियों M एवं N के मध्य लगी होती है । पट्टियों M तथा N एवं I के मध्य रिक्त स्थान होता है । पट्टियों पर सम्बन्ध पेंच लगे होते हैं जिनकी सहायता से प्रतिरोधों को जोड़ा जाता है ।
मीटर सेतु ( Meter Bridge ) कार्यप्रणाली –
मीटर सेतु के खाली स्थानों के मध्य क्रमशः एक प्रतिरोध बॉक्स ( RB ) तथा अज्ञात प्रतिरोध जिसका मान ज्ञात करना है को सम्बन्धक पेचों की सहायता से जोड़ देते हैं ।
बिन्दु a एवं c के मध्य एक लेक्लांशी सेल धारा नियन्त्रक तथा कुंजी K लगा देते हैं । संयोजक पेच d एवं विसी कुंजी के मध्य एक धारामापी ( G ) जोड़ते हैं । इस स्थिति में मीटर सेतु व्हीटस्टोन सेतु की तरह कार्य करता है ।
प्रतिरोध बॉक्स में से कोई प्रतिरोध R निकालते हैं तथा कुंजी को तार के सिरे पर रखकर दबाते हैं इसी प्रकार सिरे पर रखकर दबाते हैं दोनों स्थितियों में धारामापी में विक्षेप की दिशा को प्रेक्षित करते हैं ये विपरीत होनी चाहिए ।
यदि दोनों स्थितियों में विक्षेप एक ही दिशा में प्राप्त हो तो प्रतिरोध बॉक्स में से इस प्रकार का प्रतिरोध निकालते हैं कि विक्षेपों की दिशा परस्पर विपरीत हो जाए ।
अब प्रतिरोध बॉक्स में से लिए गए ज्ञात प्रतिरोध R तथा अज्ञात प्रतिरोधक को नियत रखकर विसी कुंजी ( J ) को तार पर आगे पीछे खिसका कर वह स्थिति ज्ञात करते हैं जिस पर धारामापी में शून्य विक्षेप प्राप्त हो जाए ।
इस स्थिति में व्हीटस्टोन सेतु संतुलन अवस्था में होता हैं यदि अविक्षेप की स्थिति तार के बिन्दु b पर प्राप्त होती है तो तार का भाग ab प्रतिरोध P की तरह एवं भाग bc प्रतिरोध Q की तरह व्यवहार करते है । संतुलन अवस्था में
मीटर सेतु ( Meter Bridge )की सीमाएँ
👉मीटर सेतु के लिए सूत्र की व्युत्पत्ति में ताँबे की पट्टियों के प्रतिरोधों को नगण्य माना गया है । वस्तुतः इनका भी कुछ प्रतिरोध होता है . इससे परिणाम में त्रुटि आ जाती है ।
इस त्रुटि को दूर करने के लिए प्रतिरोध बॉक्स तथा अज्ञात प्रतिरोध के स्थानों को आपस में बदलकर अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करना चाहिए । इस प्रकार प्राप्त दो पाठयांकों का औसत लेने पर त्रुटि कम हो जाती है ।
👉मीटर सेतु में अंत्य सिरों ( end points ) के प्रतिरोधों के कारण इसकी सुग्राहिता प्रभावित होती है । इसलिए अंत्य सिरों के प्रतिरोधों के प्रभाव को लुप्त करने के लिए ” कैरी – फॉस्टर सेतु ‘ का उपयोग किया जाता है ।
👉तार में अधिक देर तक विद्युत धारा प्रवाहित नहीं करनी चाहिए अन्यथा तार गर्म हो जाएगा , फलस्वरूप तार के प्रतिरोध में परिवर्तन हो जाएगा ।
👉 कुंजी को तार पर रगड़कर नहीं चलाना चाहिए । ऐसा करने से तार की मोटाई सब स्थानों पर एक समान नहीं रहेगी ।