चुम्बक ( Magnet ) | चुम्बकीय क्षेत्र ( Magnetic Field in Hindi ) | चुम्बकीय बल रेखाएँ
Magnetic field in hindi चुंबकीय क्षेत्र की परिभाषा क्या होता है ? चुंबकीय क्षेत्र,मात्रक ,विमीय सूत्र
चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का si मात्रक
चुंबकीय सुई द्वारा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात की जाती है। अतः यह एक सदिश राशि है इसे B से प्रदर्शित करते है चुंबकीय क्षेत्र का SI मात्रक वेबर/वर्गमीटर (Weber/m2) या टेसला (Tesla) है।
चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता विमीय सूत्र – M1L0T-2A-1 है।
भू चुंबकत्व क्या है?
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, जिसे भू-चुंबकीय क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। वही चुंबकीय क्षेत्र है जो पृथ्वी के आंतरिक भाग में से अंतरिक्ष में फैलता है पृथ्वी एक विशाल चुम्बक है, जिसका अक्ष लगभग पृथ्वी के घूर्णन अक्ष पर पड़ता है।
चुम्बकत्व , ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक वस्तु दूसरी वस्तु पर आकर्षण या प्रतिकर्षण बल लगाती है। सभी वस्तुएँ चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति से प्रभावित होती हैं। पृथ्वी भी चुम्बकीय क्षेत्र प्रदर्शित करती है। इसे ‘भू-चुम्बकत्व’ कहते हैं।
चुम्बक ( Magnet ) किसे कहते है ?
चुम्बक ( Magnet ) वह पदार्थ , जो स्वतन्त्रता पूर्वक लटकाने पर सदैव उत्तर – दक्षिण दिशा में स्थिर हो जाता है तथा जिसमें एक नेट चुम्बकीय आघूर्ण होता है और वह लोहायुक्त वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है चुम्बक कहलाता है । चुम्बक दो प्रकार के होते हैं
( 1 ) प्राकृतिक तथा
( 2 ) कृत्रिमा
1. प्राकृतिक चुम्बक ( Natural Magnets )
( i ) वह चुम्बक जो प्रकृति में स्वतन्त्र रूप से पाया जाता है प्राकृतिक चुम्बक कहलाता है । जैसे – मैग्नेटाइट ।
( ii ) इसका रूप व आकार अनिश्चित होता है तथा चुम्बकत्व बहुत प्रबल न होने के कारण इसे प्रायोगिक तथा वैज्ञानिक कार्यों के लिए प्रयुक्त नहीं कर सकते हैं ।
2. कृत्रिम चुम्बक ( Artificial Magnets )
( i )चुम्बक जिन्हें कृत्रिम ढंग से बनाया जाता है कृत्रिम चुम्बक कहलाते हैं । ये अधिकांशतया : लोहे , इस्पात व निकिल के बनाए जाते हैं ।
( ii ) इसका रूप तथा आकार निश्चित होता है ।
( iii ) साधारणतया चुम्बक शब्द कृत्रिम चुम्बक के लिए ही प्रयुक्त किया जाता है । कृत्रिम चुम्बक निम्न प्रकार के होते हैं
चुम्बक के गुण ( Properties of a Magnet )
( i ) जब किसी चुम्बक को स्वतन्त्रतापूर्वक पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाते हैं तो वह सदैव उत्तर – दक्षिण ( चुम्बकीय यामोत्तर ) दिशा में ठहरता है । वह सिरा जो भौगोलिक उत्तर ( geographical north ) की ओर निर्देशित होता है , उत्तरी ध्रुव तथा वह सिरा जो भौगोलिक दक्षिण की ओर होता है , दक्षिणी ध्रुव कहलाता है । अक्ष
( ii ) समान चुम्बकीय ध्रुव एक – दूसरे को प्रतिकर्षित व असमान चुम्बकीय ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं तथा प्रतिकर्षण या आकर्षण बल दूरी के व्युत्क्रम – वर्ग के नियम का पालन करता है ।
( iii ) प्रतिकर्षण चुम्बकत्व का निश्चित परीक्षण है ।
( iv ) चुम्बक लोहे जैसे कुछ निश्चित पदार्थों को आकर्षित करता है ।
( v ) किसी चुम्बक के एकल ध्रुव का कोई अस्तित्व सम्भव नहीं है । यदि किसी चुम्बक को अनेक छोटे – छोटे भागों में विभक्त कर दें तो भी प्रत्येक खण्ड में चुम्बकीय उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों ध्रुव होते हैं ।
चुम्बकीय क्षेत्र ( Magnetic Field )
किसी चुम्बकीय ध्रुव या चुम्बक या धारावाही तार के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें इसके प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है ।
चुम्बकीय क्षेत्र को रेखाओं या वक्रों के एक समूह द्वारा भली – भाँति प्रदर्शित किया सकता है ।
चुम्बकीय बल रेखाएँ
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय बल रेखाओं द्वारा प्रदर्शित होती चुम्बकीय बल रेखाएँ ( Magnetic Lines of Force ) वे काल्पनिक रेखाएँ जो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करती हैं चुम्बकीय बल रेखाएँ कहलाती हैं ।
चुम्बकीय बल रेखाएँ वे काल्पनिक बन्द पथ हैं जिसके अनुदिश एकांक उत्तरी ध्रुव ( कल्पित ) चुम्बकीय बल के कारण गति करता है ( यदि वह गति करने के लिए स्वतन्त्र है ) चुम्बकीय बल रेखा कहलाती है ।
चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण ( Properties of Magnetic Lines of Force )
Magnetic field lines magnetic lines of force in hindi चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ या चुंबकीय बल रेखाएं किसे कहते है , परिभाषा , गुण बताइये ? चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण
चुम्बकीय बल रेखाएँ – बन्द वक्र होती हैं । चुम्बक के बाहर इनकी दिशा उत्तरी ध्रुव ( N ) से दक्षिणी ध्रुव ( S ) की ओर होती है जबकि चुम्बक के भीतर S से N की ओर होती है ।
( ii ) चुम्बकीय बल रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती है ।
( iii ) दो चुम्बकीय बल रेखाएँ कभी एक – दूसरे को नहीं काटती है क्योंकि ऐसा होने पर कटान बिन्दु पर खींची गई दो स्पर्श रेखाएं ठस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाओं को प्रदर्शित करेंगी जो कि असम्भव है ।
( iv ) चुम्बकीय ध्रुवों के निकट चुम्बकीय बल रेखाएँ पास – पास तथा ध्रुवों से दूर चुम्बकीय बल रेखाएँ दूर – दूर होती हैं ।
( v ) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की सघनता , चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता का मापक है ।
( vi ) एक अकेले चुम्बकीय ध्रुव के कारण चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ प्राप्त करना सम्भव नहीं है ।
( vii ) उदासीन बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की परिणामी तीव्रता शून्य होने के कारण चुम्बकीय सुई किसी भी दिशा में ठहर सकती है ।
( viii ) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का न तो प्रारम्भिक बिन्दु होता है और न ही अन्त बिन्दु ।
( ix ) यदि नर्म लोहे के खोखले गोले को चुम्बकीय क्षेत्र में रख दें तो गोले के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होता है अर्थात् नर्म लोहे का गोला चुम्बकीय परिरक्षण ( magnetic shielding ) का कार्य करता है ।